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आईएसएम एनएसएस सेल के इको-क्लब ने किया "प्रकृति अंगीकरण" विषय पर एक विशेषज्ञ व्याख्यान का आयोजन

आईएसएम पटना (31 मई 2024): इंटरनेशनल स्कूल ऑफ मैनेजमेंट, पटना (आईएसएम पटना) के एनएसएस सेल के एको-क्लब द्वारा, 31 मई, 2024 को "एम्ब्रेसिंग नेचर" विषय पर एक व्याख्यान का आयोजन किया गया। तरुमित्र, पटना की सम्मानित युवा समन्वयक, सुश्री देवोप्रिया दत्ता इस व्याख्यान की मुख्य स्पीकर थीं। इस कार्यक्रम में मुख्य प्रतिभागियों के रूप में बीबीए, बीसीए, बीसीपी और बीएजेएमसी के स्टूडेंट्स शामिल हुए। इस व्याख्यान का समन्वयन एनएसएस की कोऑर्डिनेटर, डॉ. शिल्पी कविता द्वारा किया गया।

सुश्री देवोप्रिया दत्ता ने पारिस्थितिक संरक्षण और टिकाऊ जीवन के महत्व पर एक रोचक प्रस्तुति के माध्यम से पर्यावरण जागरूकता के लिए प्रतिबद्ध युवाओं के नेतृत्व वाले संगठन, तरुमित्र के साथ अपने व्यापक अनुभव के साथ-साथ बहुमूल्य अंतर्दृष्टि साझा की ताकि व्यक्ति प्राकृतिक दुनिया के संरक्षण में योगदान दे सके। उसने तरुमित्र की पहल की सफलता की कहानियाँ भी साझा कीं, जिससे छात्रों को "एक ग्रह एक परिवार एक माँ" में विश्वास करते हुए पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सक्रिय कदम उठाने के लिए प्रेरित किया जा सके।

व्याख्यान में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, जैव विविधता के महत्व और पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को अपनाने के व्यावहारिक कदमों सहित विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई। सुश्री दत्ता ने तरुमित्र की पहल की सफलता की कहानियाँ भी साझा कीं, जिससे छात्रों को पर्यावरण प्रबंधन की दिशा में सक्रिय कदम उठाने के लिए प्रेरणा मिली। व्याख्यान के इंटरैक्टिव सत्र में छात्रों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।

आईएसएम पटना के निदेशक, डॉ. विजय बहादुर सिंह ने आज के वैश्विक परिदृश्य में पर्यावरण शिक्षा के महत्व पर जोर दिया। डॉ. सिंह ने कहा “सुश्री देवोप्रिया दत्ता की मेजबानी करना हमारे लिए सम्मान की बात है, जिनके तरुमित्र के साथ सक्रिय अंतःक्रिया से लोगों में पारिस्थितिक चेतना को बढ़ावा देने में उल्लेखनीय प्रभाव पड़ा है। उनका व्याख्यान संस्थान के छात्रों के बीच सतत विकास की संस्कृति को बढ़ावा देने के हमारे प्रयासों की दिशा में एक मूल्यवान योगदान है।”

संस्थान के प्रिंसिपल, डॉ. सचिन भास्कर ने वैश्विक पर्यावरणीय चुनौतियों के संदर्भ में विषय की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए कहा “हमारे छात्र, जो हमारे समाज के भविष्य का प्रतिनिधित्व करते हैं, उन्हें पर्यावरण की रक्षा में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका को समझना उनका परम कर्तव्य है। सुश्री दत्ता की अंतर्दृष्टि उन्हें सार्थक पर्यावरणीय गतिविधि में शामिल होने के लिए एक रोडमैप प्रदान करती है, जो आज की वैश्विक पारिस्थिकी तंत्र के सराहनीय है।”